Shivaji Maharaj history in Hindi
शिवाजी की जीवनी और इतिहास
शिवाजी उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी महाराज एक वीर, अक्लमंद और साहसी सासन कर्ता थे। धर्म के प्रति उनमे काफी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे।
पूरा नाम – शिवाजी शहाजी भोसले
जन्म – 19 फरवरी, 1630 / अप्रैल, 1627
जन्मस्थान – शिवनेरी दुर्ग (पुणे)
पिता – शहाजी भोसले
माता – जिजाबाई शहाजी भोसले
शादी – सइबाई के साथ
छत्रपती शिवाजी महाराज
शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) के पेट से शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नार नगर के पास था। उनका बचपन राजा राम, संतों तथा रामायण, महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता। वह सभी कलाओ में विशेषज्ञ थे, उन्होंने बचपन में राजनीति और संग्राम की शिक्षा ली थी।
उनके पिता शहाजी भोसले अप्रतिम योद्धा थे। शिवाजी महाराज के आचरण पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को अलग अलग प्रकार समझने लगे थे। शासन श्रेणी की करतूतों पर वे झल्लाते थे और मायुष हो जाते थे। उनके बाल-ह्रदय में स्वाधीनता की आग प्रज्ज्वलित हो गयी थी। उन्होंने कुछ मावळावो (सभि जाती के लोगो को ऐक ही (मावळा) ऊपाधी दे कर जाती भेद खत्म करके सारी प्रजा को एक साथ जोड़ा था था) का संगठन किया। बाहर के शासन की बेड़ियाँ तोड़ फेंकने का उनका दृढ़ निश्चय मजबूत होता गया। छत्रपति शिवाजी महाराज की शादी सन 14 मई 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल पुना में हुआ था।
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक
सन 1674 तक शिवाजी राज ने उन सारे प्रदेशों को जीत लिया था जो पुरन्दर की संधि के अंतर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे। पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी राज का राज्याभिषेक हुआ।
विभिन्न राज्यों के दूतों, प्रतिनिधियों के अलावा विदेशी व्यापारियों को भी इस समारोह में बुलाया गया था। शिवाजी राजे ने छत्रपति की उपाधि स्वीकार की। काशी के पंडित विश्वेक्ष्वर जी भट्ट को इसमें मुख्य रूप से बुलाया गया था। पर उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता की मौत हो गयी। इस वजह से दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ। इस समारोह में हिन्द स्वराजकी स्थापना की घोषणा की गई। विजयनगर के अंत के बाद दक्षिण में यह पहला हिन्दू साम्राज्य था। एक स्वतंत्र राजा की तरह उन्होंने अपने नामका सिक्का चलवाया। इसके बाद बीजापुर के सुल्तान ने कोंकण विजय के लिए अपने दो सेनाधीशों को शिवाजी के खिलाफ भेजा पर वे सफल नहीं रहे।
शिवाजी महाराज का इतिहास
1) उनका जन्म पुणे के किले में 7 अप्रैल 1627 को हुआ था। (उनकी जन्मतिथि को लेकर आज भी मतभेद चल रहे है)
2) शिवाजी महाराज ने अपना पहला हमला तोरण किले पर किया, 16-17 साल की उम्र में ही लोगों ( मावळावो ) को एकजुट करके अपने आस-पास के किलों पर हमले की सुरुआत की और इस प्रकार एक-एक करके अनेक किले जीत लिये, जिनमें सिंहगढ़, जावली कोकण, राजगढ़, औरंगाबाद और सुरत के किले प्रसिध्द है। शिवाजी की ताकत को बढ़ता हुआ देख बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता को हिरासत में ले लिया । बीजापुर के सुल्तान से अपने पिता को छुड़ाने के बाद शिवाजी राजे ने पुरंदर और जावेली के किलो पर भी जीत हासिल की। इस प्रकार अपनी कोशिस से काफी बड़े प्रदेश पर कब्जा कर लिया।
3) शिवाजी राज की बढती ताकत को देखते हुए मुगल सम्राट औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिये भेजा। और उन्होंने शिवाजी को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। समझौते के अनुसार उन्हें मुगल शासक को 24 किले देने थे। इसी इरादे से औरंगजेब ने शिवाजी राज को आमंत्रित भी किया। और बाद में शिवाजी राज को औरंगजेब ने अपनी हिरासत में ले लिया था, कैद से आज़ाद होने के बाद, छत्रपति ने जो किले पुरंदर समझौते में खोये थे उन्हें पुनः हासिल कर लिया। और उसी समय उन्हें “छत्रपति” का शीर्षक भी दिया गया।
4) उन्होंने मराठाओ की एक बहुत बड़ी सेना तैयार की थी। उन्होंने गुरिल्ला के युद्ध प्रयोग का भी प्रचलन शुरू किया। उन्होंने मजबूत नौसेना भी तैयार कर रखी थी। भारतीय नौसेना का उन्हें जनक कहा जाता है।
5) जून, 1674 में उन्हें मराठा राज्य का संस्थापक घोषित करके सिंहासन पर बैठाया गया।
6) शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 12 दिन बाद उनकी माता का देहांत हो गया।
7) उनको ‘छत्रपती’ की पदवी दी गयी। उन्होंने अपना शासन हिन्दू-पध्दती के अनुसार चलाया।
शिवाजी महाराज के साहसी चरित्र और नैतिक बल के लिये उस समय के महान संत तुकाराम, समर्थ गुरुरामदास तथा उनकी माता जिजाबाई का अत्याधिक प्रभाव था।
एक स्वतंत्र साशन कर्ता की तरह उन्होंने अपने नाम का सिक्का चलवाया।
9) मृत्यु – अप्रैल, 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गयी । शिवाजी महाराज की गनिमी कावा को विलोभ नियता से और इज्जत सहित याद किया जाता है।